अनेकों ही छवि-चित्र
लय और गीत,
कथा-कहानी,
समायी हैं चहुँ ओर।
जतन जुटाते हैं लाखों
पकड़ने को
अपनी-अपनी विध से।
पकड़ में तो कुछ भी नहीं आता,
केवल छू भर गुज़र जाता है।
वह छुअन
रंगों में सजती है,
गीत बन बिखरती है,
रूप-कथा रचती है।
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