वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे
अब किसी शक्ल में तो ढाल मुझे
अक़्लवालों में है गुज़र मेरा
मेरी दीवानगी संभाल मुझे
मैं ज़मीं भूलता नहीं हरगिज़
तू बड़े शौक से उछाल मुझे
तजर्बे थे जुदा-जुदा अपने
तुमको दाना दिखा था, जाल मुझे
और कब तक रहूँ मुअत्तल-सा
कर दे माज़ी मेरे बहाल मुझे
Tuesday, October 29, 2013
वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे / अखिलेश तिवारी
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment