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सूर्यघड़ी / उमेश चौहान
जानना ज़रूरी है / इन्दु जैन
सपने / ओम पुरोहित ‘कागद’
कितना अच्छा था / इरशाद खान सिकंदर
यात्रा1 / कुमार अनुपम
चिड़िया की कहानी / अज्ञेय
अयोध्या–5 / उद्भ्रान्त
संग-ए-दर उस का हर इक दर पे / 'अर्श' सिद्दीक़ी
सुनो हुआ वह शंख-निनाद / केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
ख़ाक बसर ले आई है / अब्दुल हमीद
मैं जिस्म ओ जाँ के खेल में बे-बाक हो गया / कबीर अजमल
कुछ और दिन अभी इस जा क़याम करना था / अतीक़ुल्लाह
आ साथी बढ़े चलें ! / कांतिमोहन 'सोज़'
प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-3 / अनिल करमेले
शायद मेरी निगाह को करता है वह निहाल / अबू आरिफ़
जीवन / आरसी प्रसाद सिंह
हिंदू की हिंदुस्तानी / अनवर ईरज
तूने रात गँवायी / कबीर
डाकिए दिन / उमाशंकर तिवारी
रंग बिरंगे सपने रोज़ दिखा जाता है क्यों / आलम खुर्शीद
कहानी / अंजना भट्ट
रंगों का अभिज्ञान / आशुतोष दुबे
क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे / फ़राज़
आज जब वह जा रही है / अजेय
मारो ठोकर दया कर, नाव मेरी हो पार / गंगादास
पंछियों को फिर कहाँ पर ठौर है / कुँअर बेचैन
तुम्हें ख़याल-ए-ज़ात है शुऊर-ए-ज़ात / ऐतबार साज़िद
ब्रह्मांड का माली / पैडी मार्टिन
कि अपना ख़ुदा होना / अरुणा राय
शहर कै सुबह बनाम गांव का भोरु / उमेश चौहान
सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं / 'असअद' बदायुनी
यही नहीं कि नज़र को झुकाना पड़ता है / अज़ीज़ अहमद ...
निरामिष्/ अजेय
बीनती हूँ / क्रांति
वीराने रास्ते की पैमाइश / ख़ुर्शीद अकरम
जब तक के तेरी गालियाँ खाने के नहीं हम / ग़ुलाम हमद...
गाय और बछड़ा / आलोक धन्वा
पाँच मुक्तक / गिरिराज शरण अग्रवाल
आँखों-आँखों में हम-तुम / आनंद बख़्शी
समुद्र से लौटते हुए / अनुज लुगुन
बिकाऊ / अज्ञेय
सौ-सौ सूरज / किरण मल्होत्रा
मैं नज़र से पी रहा हूँ से सामाँ बदल न जाए / अनवर म...
चलते चलते यूँ ही रुक जाता हूँ मैं / आनंद बख़्शी
दुनिया ने जब डराया तो डरने में / अब्दुल्लाह 'जावेद'
वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे / अखिलेश तिवारी
ये हुजुम-ए-रस्म-ओ-रह दुनिया की / ग़ुलाम रब्बानी 'त...
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये / अदम ग...
शोकगीत : एक लडकी की आत्मह्त्या पर / ऋषभ देव शर्मा
यूँ ही तो नहीं / अरुणा राय
अकाल-घन / अज्ञेय
काएम है सुरूर-ए-मै-ए-गुलफाम हमारा / कलीम आजिज़
एक लड़का / इब्ने इंशा
हाथों में वरमाला / ऋषभ देव शर्मा
दो सिरे / अमिता प्रजापति
लुटेरे मौज हाकिम हो गये हैं / अनीस अंसारी
ज़मज़मा किस की ज़बाँ पर ब-दिल-ए-शाद / 'अमानत' लखनवी
दिल्ली में एक दिल्ली यह भी / केशव तिवारी
आँचल में उसके सिमटा है संसार / अनुपमा पाठक
मेरी बातों में इक अदा तो है / कविता किरण
बरगद में उलझ गया काँव / किशोर काबरा
भागु होआ गुरि संतु मिलाइिआ / अर्जुन देव
तर्क-ए-वफ़ा तुम क्यों करते हो? / ऐतबार साज़िद
एक रात का खंडित स्वप्न हैं या / कुमार अनिल
कुछ फूल चमन में बाक़ी हैं / अर्श मलसियानी
शामतें-1 / अरुणा राय
ऊसर जमीन भी बन सकती है फिर से उपजाऊ 9 / उमेश चौहान
विदेशिनी-5 / कुमार अनुपम
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ / 'अदीम' हाशमी
मुतमइन अपने यक़ीन पर अगर इंसाँ हो जाए / 'अहसन' मार...
तीस की उम्र में जीवन-प्रसंग / कुमार अनुपम
दिन भले ही बीत जाएँ क्वार के / उमाकांत मालवीय
उषाकाल की भव्य शान्ति / अज्ञेय
हिजड़े-2 / कृष्णमोहन झा
दोहे-1-10 / अर्जुन कवि
ख़राबा अपना न गुलज़ार हम कहाँ जाएँ / कांतिमोहन 'सोज़'
ज़िलाधीश / आलोक धन्वा
सूप का शायक़ हूँ यख़नी होगी क्या / अकबर इलाहाबादी
प्रशस्तियाँ / ऋषभ देव शर्मा
वह छुअन / कौशल्या गुप्ता
अँबुज कँज से सोहत हैँ अरु / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
परछाईयाँ / ”काज़िम” जरवली
पुस्तक मेले में / कौशल किशोर
गुडिय़ा (1) / उर्मिला शुक्ल
भूलना / अच्युतानंद मिश्र
निवेदन / ऋषभ देव शर्मा
एकलव्य से संवाद-5 / अनुज लुगुन
कहें किस से हमारा / 'अख्तर' सईद खान
यादें और भूलना / अरुणा राय
तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है / इन्दिरा वर्मा
ये भी किसकी समझ में आया है / कांतिमोहन 'सोज़'
फूल आँगन में उगा देता है / अशोक आलोक
फूलों से लहू कैसे टपकता हुआ देखूँ / अहमद नदीम क़ासमी
दूर से शहरे-फ़िक्र सुहाना लगता है / अब्दुल अहद ‘साज़’
कारगिल-2 (दुश्मन के चेहरे में) / अरुण आदित्य
आपने तारीफ की / अनन्त आलोक
तीस की उम्र में जीवन / कुमार अनुपम
सारस अकेले / अज्ञेय
विदेशिनी-3 / कुमार अनुपम
ख़राब लोगों से भी रस्म व राह रखते थे / अनवर जलालपुरी
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Thursday, October 31, 2013
कितना अच्छा था / इरशाद खान सिकंदर
कितना अच्छा था
जब मैं छोटा था
चोट भी लगती थी
दर्द भी होता था
शेर तो ताज़े थे
लहजा कच्चा था
इरशाद ख़ान सिकन्दर
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