ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया|
जब उन्ने दी मुझे गाली सलाम मैं ने किया|
कहा ये सब्र ने दिल से के लो ख़ुदाहाफ़ीज़,
के हक़-ए-बंदगी अपना तमाम मैं ने किया|
झिड़क के कहने लगे लब चले बहुत अब तुम,
कभी जो भूल के उनसे कलाम मैं ने किया|
हवस ये रह गई साहिब ने पर कभी न कहा,
के आज से तुझे "इंशा" ग़ुलाम मैंने किया|
Saturday, October 26, 2013
ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया / इब्ने इंशा
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