हम जौर भी सह लेंगे मगर डर है तो यह है ज़ालिम को कभी फूलते-फलते नहीं देखा अहबाब की यह शाने-हरीफ़ाना सलामत दुश्मन को भी यूं ज़हर उगलते नहीं देखा वोह राह सुझाते हैं, हमें हज़रते-रहबर जिस राह पै उनको कभी चलते नहीं देखा
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