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Sunday, October 26, 2014

जूते / अनूप सेठी

कई हज़ार साल पहले जब एक दिन
किसी ने खाल खींची होगी इंसान की
उसके कुछ ही दिन बाद जूता पहना होगा
धरती की नंगी पीठ पर जूतों के निशान मिलते हैं

नुची हुई देह नीचे दबी होगी
धरती हरियाली का लेप लगाती है

जूते आसमान पाताल खोज आए
जूते की गंध दिमाग तक चढ़ आई है
कई हज़ार साल हो गए
नंगे पैर से टोह नहीं ली किसी ने धरती की

अनूप सेठी

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