Pages

Tuesday, October 28, 2014

विष में अमृत होत है, भगवत वर परसाद / गंगादास

विष में अमृत होत है, भगवत वर परसाद ।
दुश्मन मित्तरवत सबी, तपवत् सब परमाद ।।

तपवत् सब परमाद दया भगवत की जिनपै ।
सागर गो-पद-तुल्य राम राजी जिन किन पै ।।

गंगादास कहें समझ वेद ज्ञापक हैं इसमें ।
मीरा को हो गया महा अमृत रस विष में ।।

गंगादास

0 comments :

Post a Comment