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Tuesday, October 21, 2014

वर्दी में / गणेश पाण्डेय

कई थीं
ड्यूटी पर थीं
कुछ तो बिल्कुल नई थीं

अँट नहीं पा रही थीं वर्दी में
आधा बाहर थीं आधा भीतर थीं ।

एक की खुली रह गई थी खिड़की
दूसरी ने औटाया नहीं था दूध
झगड़कर चला गया था तीसरी का मरद
चौथी का बीमार था बच्चा कई दिनों से
पाँचवीं जो कुछ ज़्यादा ही नई थी
गपशप करते जवानों के बीच
चुप-चुप थी

छठीं को कहीं दिखने जाना था
सातवीं का नाराज़ था प्रेमी
रह-रह कर फाड़ देना चाहता था
उसकी वर्दी ।

गणेश पाण्डेय

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