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Friday, October 17, 2014

लड़की और लोकगीत / अरविन्द चतुर्वेद

अम्मा को रोऊँ
मैं सावन-भादों
बाबू को जेठ-आषाढ़
भैया को रोऊँ चैत महीना
भौजी को रोऊँ बैशाख
छोटकी को रोऊँ
क्वार औ’ कातिक
बाबा को रोऊँ मैं माघ

अपने ख़ातिर मैं कैसे रोऊँ अम्मा
आँसू कम पड़ जाएँ

अरविन्द चतुर्वेद

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