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Saturday, October 25, 2014

आया है अब क़रार दिल-ए-बेकरार में / अबू आरिफ़

आया है अब क़रार दिल-ए-बेकरार में
जब ये क़दम पहुँच गये उनके दयार में

गर संग ही मिले फूलों के एवज तो
हम रोज़ रोज़ जायेगे उनके दयार में

वह जुम्बिश-ए-जब और निगाहों का वह झुकाव
क्या देख ले न जाऊँ मैं उनके दयार में

अब तक न कह सके जो वह बात उनसे कहते
वह रू-बरू जो होते अबके बहार में

इक बार मुस्कुरा के नज़र में उठा दिया
आरिफ अभी तक डूबे हुए हैं ख़ुमार में

अबू आरिफ़

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