यही, हाँ, यही- कि और कोई बची नहीं रही
- उस मेरी मधु-मद भरी रात की निशानी :
- एक यह ठीकरे हुआ प्याला कहता है-
- जिसे चाहो तो मान लो कहानी।
- उस मेरी मधु-मद भरी रात की निशानी :
और दे भी क्या सकता हूँ हवाला
- उस रात का : या प्रमाण अपनी बात का?
- उस धूपयुक्त कम्पहीन अपने ही ज्वलन के हुताशन के
- ताप-शुभ्र केन्द्र-वृत्त में उस युग-साक्षात् का?
- उस रात का : या प्रमाण अपनी बात का?
यों कहीं तो था लेखा : पर मैं ने जो दिया, जो पाया,
- जो पिया, जो गिराया, जो ढाला, जो छलकाया,
- जो नितारा, जो छाना,
- जो उतारा, जो चढ़ाया
- जो पिया, जो गिराया, जो ढाला, जो छलकाया,
जो जोड़ा, जो तोड़ा, जो छोड़ा-
- सब का जो कुछ हिसाब रहा, मैं ने देखा
- कि उसी यज्ञ-ज्वाला में गिर गया।
- और उसी क्षण मुझे लगा कि अरे, मैं तिर गया
- सब का जो कुछ हिसाब रहा, मैं ने देखा
-ठीक है, मेरा सिर फिर गया।
- मैं अवाक् हूँ, अपलक हूँ।
- मेरे पास और कुछ नहीं है
- तुम भी यदि चाहो तो ठुकरा दो:
- मैं अवाक् हूँ, अपलक हूँ।
जानता हूँ कि मैं भी तो ठीकरा हूँ।
- और मुझे कहने को क्या हो
- जब अपने तईं खरा हूँ?
- और मुझे कहने को क्या हो


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