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Thursday, October 23, 2014

कुछ शेर-1 / अर्श मलसियानी

(1)
जिन्दगी कशमकशे-1इश्क के आगाज2 का नाम,
मौत अंजाम है इसी दर्द के अफसाने का।

(2)
जिस गम से दिल को राहत हो, उस गम का मुदावा3 क्या मानी?
जब फितरत4 तूफानी ठहरी, साहिल5 की तमन्ना क्या मानी?

(3)
तसन्नो6 की फुसूंकारी7 का कुछ ऐसा असर देखा,
कि यह दुनिया मुझे दुनियानुमां मालूम होती हैं।
 
(4)
न आने दिया राह पर रहबरों ने,
किये लाख मंजिल ने हमको इशारे।

(5)
किसका कुर्ब8,कहाँ की दूरी, अपने आप में गाफिल9 हैं,
राज अगर पाने का पूछो, खो जाना ही पाना है।

अर्श मलसियानी

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