मैं शायर बदनाम, हो मैं चला, मैं चला
महफ़िल से नाकाम, हो मैं चला, मैं चला
मैं शायर बदनाम
मेरे घर से तुमको, कुछ सामान मिलेगा
दीवाने शायर का, एक दीवान मिलेगा
और इक चीज़ मिलेगी, टूटा खाली जाम
हो मैं चला, मैं चला
मैं शायर बदनाम
शोलों पे चलना था, काँटों पे सोना था
और अभी जी भरके, किस्मत पे रोना था
जाने ऐसे कितने, बाकी छोड़के काम
हो मैं चला, मैं चला
मैं शायर बदनाम
रस्ता रोक रही है, थोड़ी जान है बाकी
जाने टूटे दिल में, क्या अरमान है बाकी
जाने भी दे ऐ दिल, सबको मेरा सलाम
हो मैं चला, मैं चला
मैं शायर बदनाम
Wednesday, October 2, 2013
मैं शायर बदनाम / आनंद बख़्शी
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment