वन में एक झरना बहता है
- एक नर-कोकिल गाता है
- वृक्षों में एक मर्मर
- कोंपलों को सिहराता है,
- एक नर-कोकिल गाता है
एक अदृश्य क्रम नीचे ही नीचे
- झरे पत्तों को पचाता है।
- अंकुर उगाता है।
- मैं सोते के साथ बहता हूँ,
- पक्षी के साथ गाता हूँ,
- झरे पत्तों को पचाता है।
वृक्षों के कोंपलों के साथ थरथराता हूँ,
- और उसी अदृश्य क्रम में, भीतर ही भीतर
- झरे पत्तों के साथ गलता और जीर्ण होता रहता हूँ
- नये प्राण पाता हूँ।
- और उसी अदृश्य क्रम में, भीतर ही भीतर
पर सब से अधिक मैं
- वन के सन्नाटे के साथ मौन हूँ-
- क्योंकि वही मुझे बतलाता है कि मैं कौन हूँ,
- जोड़ता है मुझ को विराट् से
- वन के सन्नाटे के साथ मौन हूँ-
जो मौन, अपरिवर्त है, अपौरुषेय है
- जो सब को समोता है।
- मौन का ही सूत्र किसी अर्थ को मिटाये बिना
- सारे शब्द क्रमागत सुमिरनी में पिरोता है।
- जो सब को समोता है।


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