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Sunday, February 2, 2014

चमने-ख़ार-ख़ार है दुनिया / इक़बाल


चमने-ख़ार-ख़ार है दुनिया
ख़ूने-सद नौबहार है दुनिया

जान लेती है जुस्तजू [1] इसकी
दौलते-ज़ेरे-मार [2]है दुनिया

ज़िन्दगी नाम रख दिया किसने
मौत का इंतज़ार है दुनिया

ख़ून रोता है शौक़ मंज़िल का
रहज़ने-रहगुज़ार [3] है दुनिया



 

अल्लामा इक़बाल

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