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Friday, February 28, 2014

अब आदमी का इक नया / अनन्त आलोक

अब आदमी का इक नया प्रकार हो गया,
आदमी का आदमी शिकार हो गया,
जरुरत नहीं आखेट को अब कानन गमन की,
शहर में ही गोश्त का बाजार हो गया |

अनन्त आलोक

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