दिल चुराना ये काम है तेरा
ले गया है तो नाम है तेरा
है कयामत बपा के जलवे में
क़ामत-ए-ख़ुश-ख़िराम है तेरा
जिस ने आलम किया है ज़ेर-ओ-ज़बर
ये ख़त-ए-मुश्क-फ़ाम है तेरा
दीद करने का चाहिएँ आँखें
हर तरफ़ जलवा आम है तेरा
किस का ये ख़ूँ किए तू आता है
दामन अफ़शाँ तमाम है तेरा
हो न हो तू हमारी मजलिस में
तजि़्करा सुब्ह ओ शाम है तेरा
तेग़-ए-अबरो हमे भी दे इक ज़ख़्म
सर पे आलम के दाम है तेरा
तू जो कहता है ‘मुसहफ़ी’ इधर आ
‘मुसहफ़ी क्या गुलाम है तेरा
Wednesday, February 26, 2014
दिल चुराना ये काम है तेरा / ग़ुलाम हमदानी 'मुसहफ़ी'
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment