एक हरा-भरा उपजाऊ खेत
आज ऊसर में तब्दील हो गया है,
जरूर सींचा होगा इसे साल दर साल
किसी गरीब मजदूर ने
खाली पेट अपने पसीने से
और इत्र से नहाया होगा रोज़ इसका निठल्ला जमींदार,
जरूर रेशमी चादर बिछाकर सोई होगी बरसों घर की मालकिन
रोज़ शाम उस मजदूर की बीबी से
अपने बेकारी से थके नितंबों को दबवाती हुई,
जरूर लगी होगी इस खेत को उनकी हाय
जो बरसों से इसे जोतते, बोते, सींचते, गोड़ते और काटते हुए भी
अपने किसान होने का दावा भी नहीं कर सकते
गल्ले के किसी सरकारी खरीद-केन्द्र पर।
अब और कोई चारा नहीं
अगर बनाना है इस ऊसर खेत को फिर से उपजाऊ
तो सौंप देना होगा इसे छीनकर उन निकम्मे लोगों से
सर्जना को आतुर मेहकतकश हाथों में
वे जरूर बना देंगे इसे फिर से उपजाऊ
भले ही उन्हें सींचना पड़े इसे अपने खून से भी।
Saturday, February 22, 2014
ऊसर जमीन भी बन सकती है फिर से उपजाऊ 3 / उमेश चौहान
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment