तेरा कितना एहतरा है साकी
तेरे बिन पीना हराम है साकी
न चल सुए-मयखाना अभी
अभी तो वक्त-ए-शाम है साकी
देख इक नज़र इधर को भी
किससे हमकलाम है साकी
तू ख़फा होये तो ख़फा हो जा
दिल में तेरा ही मुकाम है साकी
होश आये तो बात कुछ होवे
अभी तेरा ही नाम है साकी
चाहे आरिफ़ हो या कि ज़ाहिद हो
हर इक लब पे तेरा नाम है साकी
Wednesday, February 26, 2014
तेरा कितना एहतरा है साकी / अबू आरिफ़
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