आसमानों में भी दरवाज़ा लगा कर देखें
क़ामत-ए-हुस्न का अंदाज़ा लगा कर देखें
इश्क़ तो अपने लहू में ही सँवरता है सो हम
किस लिए रूख़ पे कोई ग़ाज़ा लगा कर देखें
ऐन मुमकिन है कि जोड़े से ज़ियादा महके
अपने कालर में गुल-ए-ताज़ा लगा कर देखें
बाज़-गश्त अपनी ही आवाज़ की इल्हाम न हो
वादी-ए-ज़ात में आवाज़ा लगा कर देखें
Monday, February 24, 2014
आसमानों में भी दरवाज़ा लगा कर देखें / अता तुराब
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