कौसानी के असीम सौन्दर्य में डूबा मैं पहाड़ की चोटियों पर बादलों ढका चाँद देख रहा हूँ कपिलेश भोज तुम्हारी बेचैन आँखों में देखा पहाड़ कहीं बीच-बीच में आ रहा है बार-बार
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