बज़ाहिर प्यार की दुनिया में जो नाकाम होता है
कोई रूसो कोई हिटलर कोई खय्याम होता है
ज़हर देते हैं उसको हम कि ले जाते हैं सूली पर
यही हर दौर के मंसूर का अंजाम होता है
जुनूने-शौक में बेशक लिपटने को लिपट जाएँ
हवाओं में कहीं महबूब का पैगाम होता है
सियासी बज़्म में अक्सर ज़ुलेखा के इशारों पर
हकीकत ये है युसुफ आज भी नीलाम होता है
Sunday, December 1, 2013
बज़ाहिर प्यार की दुनिया में जो नाकाम होता है / अदम गोंडवी
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