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Friday, December 6, 2013

घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता / ग़ालिब

घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता
वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है

ग़ालिब

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