यह जीवन का आसमान है
यहाँ सारे सम्बन्ध
सितारों की तरह चमक रहे हैं
इन सितारों को
फूलों की तरह चुनकर
कुरते पर टाँक लूँ
मोतियों की तरह माला बनाकर
देह पर सजा लूँ
लेकिन मेरे मन का सूरज
ढुलक कर दूर चला गया है
अब मैं नहीं खोजना चाहती अंधेरे में
प्रेम की सुई
खुले आसमान के नीचे
रात की ठंडक में
मैं एक भरपूर नींद लेना चाहती हूँ
Thursday, November 28, 2013
मन के सूरज का ढुलकना / अमिता प्रजापति
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