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Wednesday, November 27, 2013

अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है / अमीर मीनाई

 

अच्छे ईसा[1]हो मरीज़ों[2]का ख़याल अच्छा है
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है

तुझ से माँगूँ मैं तुझी को कि सब कुछ मिल जाये
सौ सवालों से यही इक सवाल अच्छा है

देख ले बुलबुल-ओ-परवाना की बेताबी को
हिज्र[3]अच्छा न हसीनों[4] का विसाल[5]अच्छा है

आ गया उस का तसव्वुर[6]तो पुकारा ये शौक़
दिल में जम जाये इलाही ये ख़याल अच्छा है

अमीर मीनाई

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