माला फेरो स्वास की, जपो अजप्पा जाप ।
सोहं सोहं सुने से, कटते हैं सब पाप ।।
कटते हैं सब पाप जोग-सरमें कर मंजन ।
छः चक्कर ले शोध अंत पावें मनरंजन ।।
गंगादास परकास होय खुलतेई घट-ताला ।
मनो मेरा कहा, भजो स्वासों की माला ।।
माला फेरो स्वास की, जपो अजप्पा जाप ।
सोहं सोहं सुने से, कटते हैं सब पाप ।।
कटते हैं सब पाप जोग-सरमें कर मंजन ।
छः चक्कर ले शोध अंत पावें मनरंजन ।।
गंगादास परकास होय खुलतेई घट-ताला ।
मनो मेरा कहा, भजो स्वासों की माला ।।
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