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Friday, November 29, 2013

कचरा बीननेवाला लड़का / कुमार सुरेश

कोई ऋतु मौजूद नहीं होती
अपने ख़ालिस रूप में
उस लड़के के पास
जो बीनता है कचरा
अपने छोटे हाथों से

सचमुच कोई ऋतु नहीं
न सुहानी बारिश
न हाड़ कँपाती ठंड
न आग बरसाती लू

बारिश का एक ही मतलब होता है
कीमती कचरे का पानी से
ख़राब हो जाना

गर्मी का भी एक मतलब
बहुत से कचरे का हो जाना
आग के हवाले

सर्दी का मतलब इकट्ठा किए
कचरे को ख़ुद करना
आग के हवाले

उसके सपने में भी कोई
मौसम नहीं आता

बारिश का पानी,
काग़ज़ की कश्ती भी नहीं
रंगीन स्वेटर, गर्म बोर्नविटा नहीं
कोई पहाड़ या झरना नहीं
कार्टून फिल्म या हैरी पॉटर भी नहीं

आता है अक्सर एक कचरे का पहाड़ ही
जिस पर वह
इस तरह ओंधा लेटा रहता है
कि कचरे और लड़के के बीच
फ़र्क़ करना मुश्किल होता है।

कुमार सुरेश

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