मत जियो सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए
कोई सपना बुनो ज़िंदगी के लिए।
पोंछ लो दीन दुखियों के आँसू अगर,
कुछ नहीं चाहिए बंदगी के लिए।
सोने चाँदी की थाली ज़रूरी नहीं,
दिल का दीपक बहुत आरती के लिए।
जिसके दिल में घृणा का है ज्वालामुखी
वह ज़हर क्यों पिये खुदकुशी के लिए।
उब जाएँ ज़ियादा खुशी से न हम
ग़म ज़रूरी है कुछ ज़िंदगी के लिए।
सारी दुनिया को जब हमने अपना लिया,
कौन बाकी रहा दुश्मनी के लिए।
तुम हवा को पकड़ने की ज़िद छोड़ दो,
वक्त रुकता नहीं है किसी के लिए।
शब्द को आग में ढालना सीखिए,
दर्द काफी नहीं शायरी के लिए।
सब ग़लतफहमियाँ दूर हो जाएँगी,
हँस मिल लो गले दो घड़ी के लिए।
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Thursday, October 2, 2014
मत जियो सिर्फ अपनी खुशी के लिए / उदयभानु ‘हंस’
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