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Thursday, December 7, 2023

अशांत मन

 अशांत मन, जैसे तूफान से उठा सागर,

उमड़ते-घुमड़ते विचारों का अंबार। अशांत मन, जैसे पहाड़ों से टकराता झरना, बेचैनी का सैलाब, थमने का नहीं ठिकाना।

अशांत मन, जैसे रेगिस्तान में भटकता पथिक, न कोई ठिकाना, न कोई सुकून का क्षण। अशांत मन, जैसे घायल पंछी का फड़फड़ाना, उम्मीदों के पंख टूटे, पर उड़ने का प्रयास जारी।

अशांत मन, जैसे बंजर धरती पर सूखे के आसार, खुशियों के फूल मुरझाए, उदासी का काला पहनावा। अशांत मन, जैसे उजड़ चुके घर का मलबा, खुद के टुकड़े समेटने का प्रयास बेकार।

अशांत मन, जैसे अंधेरी रात में गुम हुए सितारे, रास्ता नहीं दिखाई देता, भटकते हैं नज़ारे। अशांत मन, जैसे टूटे हुए सपने का टुकड़ा, हताशा के बादल छाए, आशा का कोई छिड़का।

अशांत मन, क्या तू शांत हो पाएगा कभी? या अशांति ही है तेरी नियति, जीवन भर घबराएगा, कभी? अशांत मन, क्या तू ढूंढ पाएगा शांति का द्वार? या जीवन भर तूफानों में नाचता रहेगा, बेचैन, लाचार?

अशांत मन, धैर्य रख, शांति जरूर आएगी, बस थोड़ा प्रयास कर, आशा का दामन थामेगी। अशांत मन, तूफानों का सामना कर, हार मत मान, जीवन में शांति का सूर्य जरूर उदय होगा, एक नया सवेरा होगा।

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