गाय सब गोवर्धन तें आईं।
बछरा चरावत श्री नंदनंदन, वेणु बजाय बुलाई॥१॥
घेरि न घिरत गोप बालक पें, अति आतुर व्हे धाई।
बाढी प्रीत मदन मोहन सों, दूध की नदी बहाई ॥२॥
निरख स्वरूप ब्रजराज कुंवर को, नयनन निरख निकाई ।
कुंभनदास प्रभु के सन्मुख, ठाडी भईं मानो चित्र लिखाई॥३॥
Showing posts with label गाय सब गोवर्धन तें आईं / कुम्भनदास. Show all posts
Showing posts with label गाय सब गोवर्धन तें आईं / कुम्भनदास. Show all posts
Saturday, October 25, 2014
गाय सब गोवर्धन तें आईं / कुम्भनदास
Subscribe to:
Comments
(
Atom
)

