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Tuesday, September 30, 2014

चाँद के आँसू / अनिता ललित

बारहा चाँद से हमने की बातें,
कभी मुस्काए कभी रोए संग,
हमें तो आ गया...
आँसुओं को पीने का हुनर ,
चाँद के चेहरे से मगर...
आँसुओं के निशान पोछूँ कैसे?

अनिता ललित

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