मेरी इन
कोल्हापुरी चप्पलों का
अकडा हुआ
कीचड
एयरपोर्ट के इस
महाचकाचक फर्श पर
वैसे ही टिमक रहा है
जैसे पग्गड
किसान का
दकमता है
कृषि-भवन के
पोस्टर पर।
’परिचारिका‘ में परी
दीर्घइकार भूलकर
हो जाती है
क्यों छोटी इ?
मेरी इन
कोल्हापुरी चप्पलों का
अकडा हुआ
कीचड
एयरपोर्ट के इस
महाचकाचक फर्श पर
वैसे ही टिमक रहा है
जैसे पग्गड
किसान का
दकमता है
कृषि-भवन के
पोस्टर पर।
’परिचारिका‘ में परी
दीर्घइकार भूलकर
हो जाती है
क्यों छोटी इ?
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