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Saturday, December 13, 2014

हालात से इस तरह परेशान हुये लोग / अमित

हालात से इस तरह परेशान हुये लोग
तंग आके अपने आप ही इंसान हुये लोग[1]

जो थे खु़दी पसन्द[2] उन्हे फ़िक्रे-ख़ुदा[3] थी
जो थे खु़दा पसन्द[4] वो हैवान हुये लोग

जिस खूँ से जिस्मो-जाँ[5] में हरारत[6] जुनूँ[7] की थी
वो बह गया सड़क पे तो हैरान हुये लोग

ईमान फ़क़त हर्फ़े-तवारीख़[8] रह गया
इस दौर में इस क़दर बेईमान हुये लोग

अब दर्द के रिस्तों का जिक्र क्या करें ’अमित’
बस अपनी जान के लिये बेजान हुये लोग

अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’

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