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Thursday, December 11, 2014

एक नज़र क्या इधर हो गई / गणेश बिहारी 'तर्ज़'

एक नज़र क्या इधर हो गई
अजनबी हम से हर नज़र हो गई

ज़िंदगी क्या है और मौत क्या
शब हुई और सहर हो गई

उन की आँखो में अश्क़ आ गए
दास्ताँ अपनी मुख़्तसर हो गई

चार तिनके ही रख पाए थे
और बिजलियो को ख़बर हो गई

छिड़ गई किस के दामन की बात
ख़ुद-ब-ख़ुद आँखे तर हो गई !!

गणेश बिहारी 'तर्ज़'

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