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Monday, December 15, 2014

हर नया मौसम नई संभावना ले आएगा / गिरिराज शरण अग्रवाल

हर नया मौसम नई संभावना ले आएगा
जो भी झोंका आएगा, ताज़ा हवा ले आएगा

और कब तक धूप में तपती रहेंगी बस्तियाँ
बीत जाएगी उमस, सावन घटा ले जाएगा

सूखी-सूखी पत्तियों से यह निराशा किसलिए
टहनियों पर पेड़ हर पत्ता नया नया ले आएगा

यह भी सच है बढ़ रहा है घुप अँधेरा रात का
यह भी सच है वक़्त हर जुगनू नया ले आएगा

रास्ते तो इक बहाना हैं मुसाफ़िर के लिए
लक्ष्य तक ले जाएगा तो हौसला ले आएगा

गिरिराज शरण अग्रवाल

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