दिल मचलता ही रहता है । सदा बेचैनी रहती है । लाग में आ आकर चाहत । न जाने क्या क्या कहती है ।।१।। कह सके यह कोई कैसे । आग जी की बुझ जाती है । कौन सा रस पाती है जो । आँख आँसू बरसाती है ।।२।।
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