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Thursday, December 11, 2014

सबा की ख़ाक-नवर्दी सुबू की वीरानी / ख़ालिद कर्रार

सबा की ख़ाक-नवर्दी सुबू की वीरानी
तुम्हारे बाद हुई आरज़ू की वीरानी

तेरे बग़ैर मेरे हौसले ज़वाल-पज़ीर
तेरे बग़ैर मेरी जुस्तुजू की वीरानी

शुमार-ए-उम्र-ए-गुरेज़ाँ हिसाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद
वज़ू की ख़ाना-पुरी थी लहू की वीरानी

हर एक दश्त पुराना सराब-ए-जाँ की तरह
हर एक शहर नया आबरू की वीरानी

तुम्हारे साथ से मेरे सुख़न की शीरीनी
तुम्हारे बाद मेरी गुफ़्तगू की वीरानी

तमाम रात सराब-ए-सफर का धड़का था
तमाम रात थी इक हाव-हू की वीरानी

ख़ालिद कर्रार

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