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Saturday, December 13, 2014

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा / 'अदीम' हाशमी

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा

भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ
जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा

किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म
ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा

एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाश
एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दआ मिल जाएगा

छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम'
कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा.

'अदीम' हाशमी

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