रातें हैं उदास दिन कड़े हैं,
ऐ दिल तेरे हौसले बड़े हैं,
ऐ यादे-हबीब साथ देना,
कुछ मरहले सख़्त आ पड़े हैं,
रूकना हो अगर तो सौ बहाने,
जाना हो तो रास्ते बड़े हैं,
अब किसे बतायें वजहे-गिरीया,
जब आप भी साथ रो पड़े हैं,
अब जाने कहाँ नसीब ले जायें,
घर से तो ‘फ़राज़’ चल पड़े हैं,
Thursday, December 11, 2014
रातें हैं उदास दिन कड़े हैं / फ़राज़
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment