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Thursday, December 4, 2014

शब्द पहाड़ नहीं तोड़ते / अभिज्ञात

आदमी के रक्त में
निरंतर हिमोग्लोबीन कम होता जा रहा है
यह किसी डॉक्टर की रिपोर्ट नहीं
मेरी कविता पढ़कर भाँप सकते हो

अपनी कछुआ खंदकों से निकल कर कहता हूँ
किसी से न कहना कि तुमने मेरी बात सुनी है

सुनना कहने से अधिक ख़तरनाक हो सकता है

यह सुनकर तुम हाँफ जाओगे कि शब्द पहाड़ नहीं तोड़ते
पहाड़ का छोटा-सा पर्याय रचते हैं
यह तुम किसी पर्वतारोही से पूछो
कितनी अलंघ्य ऊँचाई होती है पहाड़ के पर्याय की
जिसकी यात्रा
आदमी को एक घुप अंधेरी भाड़ में झोंक देती है

जहाँ वह अपनी जयगाथा
उन पत्थरों से कहने को अभिशप्त है
जिनके कान अभी उगने को है।

अभिज्ञात

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