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Wednesday, March 5, 2014

उनींदे की लोरी (कविता) / गिरधर राठी

साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ
चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ

गिरधर राठी

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