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Monday, March 3, 2014

बादशाह मैकबैथ / गिरिराज किराडू

(कवि अरूण कमल के लिये)

क्या हुआ बैंको के बेटे का शेक्सपीयर हमें नहीं बताता – कुछ समझे बादशाह?
उसकी कोई दिलचस्पी नहीं चुड़ैलों के बताये भविष्य में,
तुम्हें कुछ ख़बर भी है कौन बनेगा बादशाह तुम्हारे बाद?

जिस खंज़र ने डरा दिया था तुम्हें उसकी मूठ बर्नम की लकड़ी से तो नहीं बनी थी?
गौर से देखा था तुमने जब हवा में लहरा रहा था वह?

देखो, बादशाह देखो, तुम्हारी त्रासदी मृतक लिख रहे हैं
हिरण चुराने वाला शेक्सपीयर तो उनका लिपिक भर है

गिरीराज किराडू

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