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Wednesday, March 5, 2014

घर-3 / अरुण देव

बुग्गी (भैंसागाड़ी) पर सवार अल-सुबह नदी किनारे घुटने तक झुके
ईंटो ने कहा रेत से कि आओ चलो हमारे साथ
हमारे बीच रहना
न रिसना, न भुरभुराना, बस, जकड़ लेना
जकड़े रहना
रेत पानी से बाहर आई ..
रेत के पीछे-पीछे दूर तक टपकता रहा पानी
पानी देर तक बुलाता रहा…

अरुण देव

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